हनुमान बीसा (Hanuman Bisa) एक धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीक है, जिसे भगवान हनुमान की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह आमतौर पर एक ताबीज, सिक्के, या छोटे यंत्र के रूप में मिलता है, जिस पर भगवान हनुमान का बीसा मंत्र या छवि अंकित होती है।
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हनुमान बीसा का महत्व
- सुरक्षा और शक्ति:
यह माना जाता है कि हनुमान बीसा पहनने या रखने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और बुरी नजर से सुरक्षा मिलती है। - सफलता और विजय:
हनुमान बीसा को कार्यों में सफलता और जीवन में विजय प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता है। इसे अपने पास रखने से कार्य में रुकावटें दूर होती हैं। - आध्यात्मिक लाभ:
यह भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है। इसे रखने से व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और दृढ़ता का विकास होता है। - शांति और समृद्धि:
यह बीसा घर या कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा लाने और परिवार में शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता है।
हनुमान बीसा कैसे उपयोग करें?
- पूजा के बाद स्थापना:
इसे भगवान हनुमान की पूजा के दौरान अभिषेक करके, शुद्ध स्थान पर स्थापित करें। - पहनना:
कुछ लोग इसे ताबीज के रूप में पहनते हैं। इसे गले में, जेब में, या हाथ में रखा जा सकता है। - ध्यान और मंत्र जाप:
हनुमान बीसा के साथ हनुमान चालीसा या “ॐ हं हनुमते नमः” मंत्र का जाप करने से इसका प्रभाव बढ़ता है।
हनुमान बीसा पर क्या अंकित होता है?
हनुमान बीसा पर निम्नलिखित चीजें पाई जा सकती हैं:
- भगवान हनुमान की छवि।
- बीसा यंत्र (हनुमान यंत्र) के प्रतीक।
- श्री राम का नाम या जय श्रीराम का मंत्र।
- हनुमान जी से जुड़े पवित्र मंत्र।
हनुमान बीसा का स्रोत और पौराणिक मान्यता
यह बीसा भगवान हनुमान की असीम शक्ति और उनके भक्तों को प्रदान की गई सुरक्षा का प्रतीक है। इसे वैदिक परंपराओं और धार्मिक ग्रंथों में भगवान हनुमान की भक्ति के प्रति अटूट विश्वास के रूप में देखा जाता है।
हनुमान बीसा में कई तरह के श्लोक होते हैं, जिनमें हनुमान जी के रौद्र रूप और भक्तों के लिए उनकी कृपा का वर्णन मिलता है. कुछ श्लोक शत्रु नाश और रोगों से मुक्ति के लिए भी होते हैं। आप अपनी जरूरत के हिसाब से इन श्लोकों का पाठ कर सकते हैं।
हनुमान बीसा मंत्र – Hanuman Bisa Mantra
॥ दोहा ॥
राम भक्त विनती करूँ, सुन लो मेरी बात।
दया करो कुछ मेहर उपाओ, सिर पर रखो हाथ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमन्त, जय तेरा बीसा,
कालनेमि को जैसे खींचा ॥१॥
करुणा पर दो कान हमारो,
शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ॥२॥
राम भक्त जय जय हनुमन्ता,
लंका को थे किये विध्वंसा ॥३॥
सीता खोज खबर तुम लाए,
अजर अमर के आशीष पाए ॥४॥
लक्ष्मण प्राण विधाता हो तुम,
राम के अतिशय पासा हो तुम ॥५॥
जिस पर होते तुम अनुकूला,
वह रहता पतझड़ में फूला ॥६॥
राम भक्त तुम मेरी आशा,
तुम्हें ध्याऊँ मैं दिन राता ॥७॥
आकर मेरे काज संवारो,
शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ॥८॥
तुम्हरी दया से हम चलते हैं,
लोग न जाने क्यों जलते हैं ॥९॥
भक्त जनों के संकट टारे,
राम द्वार के हो रखवारे ॥१०॥
मेरे संकट दूर हटा दो,
द्विविधा मेरी तुरन्त मिटा दो ॥११॥
रुद्रावतार हो मेरे स्वामी,
तुम्हरे जैसा कोई नाहीं ॥१२॥
ॐ हनु हनु हनुमन्त का बीसा,
बैरिहु मारु जगत के क्लेशा ॥१३॥
तुम्हरो नाम जहाँ पढ़ जावे,
बैरि व्याधि न नेरे आवे ॥१४॥
तुम्हरा नाम जगत सुखदाता,
खुल जाता है राम दरवाजा ॥१५॥
संकट मोचन प्रभु हमारो,
भूत प्रेत पिशाच को मारो ॥१६॥
अंजनी पुत्र नाम हनुमन्ता,
सर्व जगत बजता है डंका ॥१७॥
सर्व व्याधि नष्ट जो जावे,
हनुमद् बीसा जो कह पावे ॥१८॥
संकट एक न रहता उसको,
हं हं हनुमत कहता नर जो ॥१९॥
ह्रीं हनुमते नमः जो कहता,
उससे तो दुःख दूर ही रहता ॥२०॥
॥ दोहा ॥
मेरे राम भक्त हनुमन्ता, कर दो बेड़ा पार।
हूँ दीन मलीन कुलीन बड़ा, कर लो मुझे स्वीकार॥
राम लषन सीता सहित, करो मेरा कल्याण।
ताप हरो तुम मेरे स्वामी, बना रहे सम्मान॥
प्रभु राम जी माता जानकी जी, सदा हों सहाई।
संकट पड़ा यशपाल पे, तभी आवाज लगाई॥